फ़्रान्स के केमरुन में जन्मे एक क्यूट से दिखने वाले चिम्पांज़ी को कुछ लोगोने उसकी माँ से छिन कर मियामी के एक Zoo को बेच दिया था. उसके बाद इस चिम्पांज़ी को US Airforce ने ख़रीद लिया. और 1959 में इसे हेल्लोमेन एरबेज पर लाया गया. यहाँ हाम जैसे कई और चिम्पांज़ी भी थे. और यहाँ उन बंदरो पर सायकोलोजि में इवान पाव्लॉव ने डिवेलप की गई टेकनिक क्लासिकल कंडिशनिंग पर आधारित एक्सपरिमेंट किए जाते थे. जिनमे उन्हें सेल्फ़ कंट्रोल और सेल्फ़ एनलिसिस करनाx सिखाया जाता था. हाम इन प्रयोगों में सबसे अच्छा कर रहा था. इस वजह से वैज्ञानिको ने इसे एक बड़े मिशन के लिए तैयार किया. मिशन NASA का था. The Space Mission… मिशन का मक़सद ये जानना था के आउटर स्पेस में प्राणी अपनी दैनिक गतिविधियाँ कर सकते है या नहि!
इस मिशन के लिए हाम को पनिश्मेंट एंड रिवोर्ड की टेकनिक का उपयोग कर स्पेसशूट पहेनना, स्पेसक्रैफ़्ट में रहेना और क्रैफ़्ट में ज़िंदा बचे रहेने की हर तरकीब सिखाई गई. हाम ने भी बड़ी शिद्दत से हर वो चीज़ सिखी जो उसे सिखाई गई. और आख़िर वो वक़्त आया जिसका अमेरिकन वैज्ञानिको को बेसब्री से इंतज़ार था. 30 जनवरी 1961, अगले ही दिन हाम को स्पेस में भेजा जाने वाला था. उस दिन सबने उसे खाना पीना वक़्त और प्यार दिया. उस दिन उसे हर वो चीज़ करने दी जो उसे करनी थी. सबको मालूम था के ये हाम के जीवन का आख़री दिन हो सकता है. वैज्ञानिको के अनुसार उसके ज़िंदा वापस आने की उम्मिन बहोत बहोत कम थी.
खेर, अगले दिन हाम को क्रैफ़्ट में बैठाया गया. उसके शरीर पर सेंसर भी लगाए गए ताकि उसकी हर गतिविधि को रेकर्ड किया जा सके. और आख़िर फ़्लोरिडा से हाम का स्पेसक्रैफ़्ट लोंच हुआ. अपार गति से वो स्पेस में उड़ने लगा. कुछ ही समय में पृथ्वी के गुरुत्वकार्शन को चिरते हुए जसने अर्थ के ओज़ोन लेयर को भी पार कर दिया. और अब वो आउटर स्पेस में था, असली अंतरिक्ष में…
कुछ समय एक्चुअल स्पेस में रहेने के बाद उसके क्राफ़्ट का केप्सूल अलग होकर अर्थ की और मुड़ा और अट्लैंटिक ओशन की और बढ़ने लगा. हाम का केप्सूल धीमी गति से नीचे आ ही रहा ही था के समंदर में उसकी क्रैश लेंडिंग हुई. सब समज गये के हाम नहि बचा होंगा. केप्सूल को पानी से निकाला गया. अब तक अमेरिकन वैज्ञानिक ये जान चुके थे के स्पेस में कोई जीव अपनी दैनिक गतिविधियाँ (डेली एक्टिविटिस) कर सकता है. उन्हें जो रिसर्च डेटा चाहिए था वो उन्हें मिल चुका था. मिशन पूरा हो चुका था लेकिन हाम की क्रैश लेंडिंग का उन्हें अफ़सोस था.
सब उस केप्सूल को देख रहे थे, ये सोच रहे थे के हाम की बोडी का क्या हाल हुआ होंगा! जिस वैज्ञानिक ने केप्सूल को खोला उसने पहेले सोरि बोला. और गेट ओपन किया. और गेट खोलते ही ये क्या? सब आश्चर्य चकित थे. हाम ज़िंदा था. बस उसे मुँह पर थोड़ी सी चोट लगी थी. लेकिन वो ठीक ठाक और सलामत था. अमेरिकन फ़ोर्स की विश्व में तारीफ़ हुई और हाम फ़ेमस हो गया.
पर दोस्तों ये फ़ेमस हाम जब किसी कम का ना रहा तो उसे फ़ोर्स ने वोशिंगटन के एक म्यूज़ियम में भेज दिया. वहाँ उसे एक पिंजरे में जगह मिली और कुछ 17 साल के बाद उसकी पिंजरे में ही मौत हो गई. इस तरह मानव जात के विकास के लिए हाम नाम के इस चिम्पांज़ी का भी बड़ा योगदान है.