हमने चंद्रमा पर एलिमेंट्स और पानी की खोज में 22 July 2019 के दिन चन्द्रयान-2 (एक यान) को लोंच किया था. हमारा चन्द्रयान-2 पृथ्वी के ओर्बिटल चक्कर काट कर चाँद के ऑर्बिट में सफलतापूर्ण प्रवेश कर चुका था. और 7 August 2019 को वो चाँद पर उतरने के लिए तैयार ही था. लेकिन महज़ चाँद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर हमारा विक्रम लैंडर से सम्पर्क टूट गया था.
चन्द्रयान-2 मिशन के कुल 3 हिस्से थे. (1) ऑर्बिटर जो चाँद के ऑर्बिट में चक्कर लगा कर वहाँ से सतह की तस्वीरें हमें भेजेने वाला था, (2) विक्रम लैंडर जो चाँद पर उतरने वाला था, और (3) प्रज्ञान रोवर जो चंद्र की सतह पर घूम कर वहाँ पर बारीकी से रिसर्च करने वाला था.
अब विक्रम लैंडर के साथ सम्पर्क टूट जाने से हम लैंडर और रोवर से कट-ऑफ़ हो चुके थे. लेकिन ऑर्बिटर सही सलामत था और उससे हमारा सम्पर्क जारी था. और सबसे अधिक पे लोड और मशीनरी भी ऑर्बिटर में ही मौजूद है. इसलिए ऑर्बिटर से हम हमारी रिसर्च आगे बढ़ा सकते थे. पर लैंडर और रोवर के काम में हमें रुकावट आयी थी.
लेकिन आज मिल रही ताज़ा जानकारी के अनुसार इसरो अध्यक्ष K-सिवन का कहना है कि हमें चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की लोकेशन मिल गई है. ऑर्बिटर ने लैंडर को धूँड निकला है और उसकी थर्मल तस्वीर खींची है. हालांकि उससे अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है. हम उससे संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं, और उससे जल्द ही संपर्क स्थापित कर लिया जायेगा…
दोस्तों बेशक हमारा संपर्क टूटा है, पर हमारा ऑलओवर मिशन सफल ही कहेलाएगा. विज्ञान की दुनिया में कुछ भी सफल या असफल नहि होता, अपितु सबकुछ प्रयोग होता है. और हम भविष्य में भी इससे बड़े मिशन सफलता से आयोजित कर पाएँगे…
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